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उत्तराखंड

अनियंत्रित होकर कार खाई में गिरने से तीन की मौत, एक घायल, पुलिस ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर खाई से बाहर निकाले शव, रामलीला देख कर आ रहें।

बागेश्वर  – उत्तराखंड के पर्वतीय मार्गों में लगातार दुर्घटनाएं हो रही है, यह हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं, बागेश्वर में दर्दनाक हादसा हो गया है,रामलीला देखकर वापस घर लौट रहे युवकों की कार खाई में गिरी। कार में सवार तीन की मौत एक गंभीररूप से घायल। परिजनों में मचा कोहराम, गांव में छाया मातम।
बागेश्वर में देर रात बागेश्वर दफौट मोटर मार्ग में बिलौना-दफौट पुलिस लाइन बायपास मोटर के समीप ऑल्टो कार अनियंत्रित होकर गहरी खाई में गिर गई। घटना में तीन की मौत एक घायल। घटना पौने दो बजे रात की है। डीसीआरबी से सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुँची।कोतवाल कैलाश नेगी फायर ब्रिगेड की टीम के साथ मौके पर पहुँचे।रात में पहाड़ी चट्टान के बीच टार्च से रेस्क्यू अभियान चलाया गया।काफी मसक्त के बाद वाहन में सवार चारो युवकों को रेस्क्यू किया गया।
घटना में कार से छटके तीन युवकों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि कार में फंसा एक यात्री गम्भीर रूप से घायल है, जिसका जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस उपाधीक्षक शिवराज सिंह राणा भी रेस्क्यू करने पहुँचे। उन्होंने बताया कि वे रामलीला देखने के बाद वापस घर लौट रहे थे। प्राप्त जानकारी के आधार पर अल्टो कार संख्या यूके- 02 ए 3030 में चार व्यक्ति सवार थे जिसमें तीन व्यक्तियों की मौके पर ही मुत्यु हो गई। जबकि एक व्यक्ति घायल हुआ है।
दुर्घटना में मनोज कुमार पुत्र पूरन सिंह उम्र 35 वर्ष ग्राम सिमतोली दफौट घायल है। जबकि मृतक विजय सिह पुत्र सुरेश सिह सिमतोली उम्र 30 वर्ष, रोहित सिंह पुत्र भूपाल सिह उम्र 20 वर्ष, सुनील सिह पुत्र सूरेश सिह उम्र 21 वर्ष है। मृतकों का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम की कार्रवाई चल रही है।।
दफौट मोटर मार्ग संकरी होने के बाद भी सड़क सुरक्षा की अनदेखी,कम चौड़ी और कठोर चट्टानों के बीच सड़क होने के बाद लोनिवि और जिला प्रशासन ने सड़क किनारे दुर्घटना रोकने के लिए नही लगाए है पैराफिट और स्टील चादर के गार्डर। गार्डर लगे होते तो बड़ा हादसा होने से टल सकता था।जिम्मेदार कौन?लापरवाही या दुर्घटना सम्भावित पहाड़ी पर सड़क सुरक्षा मानकों की कमी, आखिर चट्टान में गहरी खाई होने के बाद भी स्टील गार्डर क्यों नही लग पाए, सवालिया निशान, बजट की कमी या विभागीय अनदेखी।
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