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उत्तराखंड

किसान का कोई नहीं सरकार की अनदेखी

किसान का कोई नहीं सरकार की अनदेखी
 राहुल सिंह दरम्वाल

नैनीताल- सरकार किसी भी राजनीतिक दल की हो किसान को आज तक उसका ना ही अधिकार मिल पाया और ना ही हक इन सब बातों को अब हम छोड़ दें तो किसान को उसकी फसल का मुआवजा तक सही किसानों तक नहीं पहुंच पाता और ना ही किसानों के परिवारों तक सरकार या कोई भी राजनीतिक दल आज तक मदद नहीं पहुंचा पाया और शायद आने वाले वक्त में भी  किसान को उसकी मेहनत और फसलों का सही मूल्य नही मिल पाएगा

ओखलकांडा  ब्लाक के कई गांवों में आलू की खेती बरबाद  हो रही है   झुलसा रोग  से इस वक्त दर्जनों किसानों की आलू की फसल बर्बाद हो रही है  ग्राम सभा पंतौली के तोक -चामा ग्राम-नाई,महतोली ,गंगोलीगाड ,भुमका ,कोटली ,थली ,हरीनगर , मोहनागांव ,थलाडी ,चकदलाड सहित दर्जनों गांवों में पहले ओलावृष्टी ,तेज बारिश और अब झुलसा रोग ने दस्तक दे दी है आलू में दाना तैयार नही हुआ है पर आलू सूख चुका है यहां क्षेत्र में पूरे साल भर किसान आलू पर ही निर्भर रहते है ,रात रात भर कोहरा पडने के कारण यह रोग लगा है किसानों पर यहा भारी मार पडी है पूरे साल भर की फसल बरबाद हो चुकी है
वही किसान दवा का छिडकाव कर रहे है किसानों का कहना है कि पूरे साल की फसल बरबाद हो गई है शेर सिंह ,मोहन सिंह ,उमेद सिंह ,भवान सिंह , बिरेन्द्र सिंह ,खीमेश नयाल ,आनन्द सिंह ,शेर सिंह ,उत्तम सिंह नयाल गोपाल सिंह नयाल,राम सिंह नयाल ,हयाद सिंह कार्की ,नरेश सिंह नयाल ,खीम सिंह पडियार साथ ही पर्यावरण प्रेमी चन्दन नयाल ने सरकार से इस आपदा से निपटने के लिए पूर्ण फसल नुकसान का मुआवजा व फसल का बीमा भी दिये जाने की मांग की है
 उत्तराखंड में इन दिनों कुदरत ने भी कहर बरपा रखा है जहां एक ओर कोरोना महामारी के चलते किसानों की फसले और अनाज बिकने और मंडी पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है मैदानी क्षेत्रों में गेहूं की फसल और प्याज जैसी फसलें खराब हो रही है  किसान को आने वाले दिनों में अपनी रोजी-रोटी के लिए संकट पैदा होते हुए दिखाई दे रहा है क्योंकि खेत में किसानो की फसलें अधिक खराब हो चुकी है और जो बची है उसका रेट बहुत खराब  है वही पहाड़ों के किसान भी काफी परेशान हैं क्योंकि इस वक्त आलू की फसल इतनी खराब हो चुकी है  आलू में कीड़ा कई तरह की बीमारियां आलू में इस वक्त लग चुकी है किसानों कहना है कि जो लागत उनकी फसल में लगी थी शायद वह लागत भी इस वक्त उनको मिलना बहुत मुश्किल है क्योंकि आलू की फसलें खराब हो चुकी है
भीमताल विधानसभा के ओखलकांडा ब्लॉक में तो किसानों की हालत बहुत ही खराब होती हुई दिखाई दे रही है किसानों का कहना है कि पहले लॉकडाउन की वजह से खेती खराब हो रही थी बची हुई खेती प्रकृति की मार कभी लगातार बारिश कभी ओलावृष्टि तो कभी आलू की फसल पर रोग लग गया है ऐसे में किसानों को सरकार से राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है क्योंकि किसानों की आवाज सरकार तक पहुंचना बहुत ही मुश्किल होता है क्योंकि इस वक्त ना ही कोई चुनाव है और ना ही आने वाले लंबे समय तक कोई चुनावी मुद्दा है जिससे कि विपक्ष उनकी आवाज उठाए या फिर सरकार इनकी आवाज सुन पाए किसानों के लिए हर चुनाव मे  आवाज उठती रही है लेकिन किसानों की तरफ हकीकत में कोई देखने वाला नहीं है
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