दिल्ली
ईडी ने केजरीवाल को कोर्ट में पेश कर मांगी 10 दिनों की रिमांड, केजरीवाल के वकील तर्क देते हुए किया गिरफ्तारी का किया विरोध।
प्रवर्तन निदेशालय ने कथित शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को गुरुवार की शाम को गिरफ्तार कर लिया था। शुक्रवार को ईडी ने केजरीवाल को पीएमएलए कोर्ट में पेश किया और कोर्ट से 10 दिनों की रिमांड की मांगी। गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ के समक्ष भी सुनवाई होनी थी, लेकिन केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई अपनी याचिका वापस ले ली। ईडी ने कोर्ट में 28 पन्नों की दलील पेश की है।
आपको बताते हैं की ईडी ने 28 पन्नों की दलीलों कौन कौन से अहम दलीलें कोर्ट के समक्ष रखी हैं।
हमारी रिमांड याचिका में एक्साइज पॉलिसी केस का पूरा बैकग्राउंड शामिल है.
पॉलिसी इस तरह बनाई गई थी कि रिश्वत ली जा सके और रिश्वत देने वाले लोगों को फायदा पहुंचाया जा सके.
केजरीवाल घोटाले के सरगना हैं, केजरीवाल ने रिश्वत लेने के लिए कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाया।
रिश्वत के पैसे का इस्तमाल आम आदमी पार्टी ने गोवा चुनाव में किया है।
केजरीवाल इस पॉलिसी के निर्माण में सीधे तौर पर शामिल थे।
सिसोदिया के सेक्रेटरी ने बताया कि सिसोदिया ने उन्हें 2021 में केजरीवाल के आवास पर बुलाया था। इस मामले में सिसोदिया भी गिरफ्तार हैं और उन्हें जमानत नहीं मिली है।
विजय नायर को भी शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया है जो केजरीवाल के साथ मिलकर काम कर रहा था. विजय केजरीवाल के घर के पास रहता था. वह केजरीवाल के काफी करीब रहकर काम कर रहा था. विजय नायर ने बिचौलिए की भूमिका निभाई.
बयानों के मुताबिक, केजरीवाल ने कविता से मुलाकात की और उनसे कहा कि उन्हें दिल्ली एग्साइज पॉलिसी पर मिलकर काम करना चाहिए.
दो मौकों पर पैसों का लेनदेन हुआ. विक्रेताओं के माध्यम से रिश्वत के रूप में नकद पैसा दिया गया. इनवॉइस सिर्फ आंशिक राशि के लिए बनाई गई क्योंकि बाकी राशि रिश्वत के रूप में नकद दी गई थी.
चैट से हर बात की पुष्टि होती है. चैट के मुताबिक हवाला के जरिए गोवा में 45 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए. कई लोगों को भारी नकद राशि सौंपी गई।
वही कोर्ट मे केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क देते हुए कहा-
1. रिमांड ऑटोमैटिक नहीं है. इसे पीएमएलए जैसे कानून के प्रावधानों को पूरा करना होगा.
2. पहली शर्त यह है कि उसके पास कोई भौतिक सामग्री हो. मतलब विश्वास करने का कारण होना चाहिए. और अंतत: वह दोषी होना चाहिए. ऐसा सामान्य कानून में क्यों नहीं होता? क्योंकि जब गिरफ्तारी करना मुश्किल होता है तो व्यक्ति को छोड़ना भी मुश्किल होता है.
3. किसी को दोषी मानने की वजह और ईडी के पास मौजूद सामग्री के बीच एक कारणात्मक संबंध होना चाहिए.
4. पहली चीज जो हमें दिखानी चाहिए वह है गिरफ्तारी की आवश्यकता.