उत्तराखंड
ओलंपिक में हैट्रिक लगाकर देश की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी बनने वाली हरिद्वार वंदना कटारिया अपने गांव पहुंची। गृह स्टेडियम में ढोल नगाड़ों के साथ जोरदार ढंग से स्वागत किया।
Newsupdatebharat Uttarakhand Haridwar Report Jitendra kori
हरिद्वार – ओलंपिक में हैट्रिक लगाकर देश की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी बनने वाली हरिद्वार के छोटे से गांव रोशनाबाद की वंदना कटारिया अपने गांव पहुंची, वंदना कटारिया की अपने गांव रोशनाबाद पहुंचने पर उनके गृह स्टेडियम में ढोल नगाड़ों के साथ जोरदार ढंग से स्वागत किया गया बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों ने क्षेत्रीय विधायक आदेश चौहान, विधायक सुरेश राठोर, विधायक देशराज कर्णवाल, जिलाधकारी दिनेश शंकर पांडे एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस आदि ने पुष्प गुच्छ देकर वंदना कटारिया का उनकी उपलब्धियों के लिए देश को मान और सम्मान दिलाने के लिए जनपद का नाम रोशन करने के लिए सम्मान किया , रोशनाबाद में हॉकी के खिलाड़ियों ने वंदना को हॉकी स्टिक के नीचे से निकाल कर उनका सम्मान किया। जब वन्दना अपने घर गांव की गली से कार में सवार होकर रूफ से हाथ हिलाकर पहुंची तो गांव की गलियों में फूल बिछा कर और उसपर फूल बरसाकर उनका स्वागत किया गया। वंदना के स्वागत में पूरी गली में फूलों को बिछाया गया था और ढोल नगाड़ों के साथ वंदना को घर लेकर आया गया। वंदना के घर पहुंचने पर उसकी बहन आदि ने वंदना की आरती उतारी और तिलक लगाकर स्वागत किया और अभिनंदन किया। हरिद्वार की बेटी और देश की बेटी के हरिद्वार पहुंचने पर उसका स्वागत करने के लिए उमड़े लोगों की भीड़ का जुनून आज देखते ही बन रहा था।
वंदना कटारिया का कहना है कि बहुत अच्छा लग रहा है और सबसे पहले मैं उन सब का धन्यवाद करूंगी जिन्होंने मेरा इस तरह से वेलकम किया है। इस गांव और रोशनाबाद से जितने भी लोग मुझे लेकर आए मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं उन सब का दिल से धन्यवाद करना चाहती हूं। मैं बयान नहीं कर सकती कितना अच्छा लग रहा है, यहां से आगे और भी प्लेयर्स निकले और प्लेयर्स प्रैक्टिस करते रहे। यहां हॉस्टल और स्टेडियम भी है मेरी इच्छा है कि यहां से ज्यादा से ज्यादा प्लेयर देश के लिए खेले, मेरा अगले वर्ष बड़ा टूर्नामेंट है कॉमनबेल्थ गेम और एशियन गेम तो उसके लिए आगे तैयारी स्टार्ट हो जाएगी। हरिद्वार में कब तक रहूंगी अभी यह मुझे नहीं पता है कब जाना है। ओलंपिक में शुरु के तीन मैच हम लोग ने हारे थे और उसके बाद जो मोटिवेशन था जो पॉजिटिविटी थी उस वह हमें बहुत आगे तक ले कर गई और आयरलैंड और साउथ अफ्रीका का वे मैच जीतेंगे तो वह क्वार्टर फाइनल में जाएंगे और सेमी फाइनल में हम मेडल के बहुत करीब थे और मेडल गवाना बहुत पेन है हमारे लिए , बहुत बहुत किया पर हम मैडल तो नहीं जीत पाए पर हम लोग देश का भारत का सबका दिल जीता है, आज हॉकी हॉकी पूरे इंडिया के अंदर हो रहा है काफी अच्छा लग रहा है।
सभी युवाओं से कहेंगे कि लाइफ में डिसिप्लिन हमेशा रहे और हार्ड वर्क करें यही है कब रिजल्ट मिलेगा वह हमें पता नहीं होता है पर एक दिन रिजल्ट जरूर मिलता है, मैंने खेलना यहीं से स्टार्ट किया था
पर प्रोफेशनल मैंने मेरठ की टीम से खेला है और लखनऊ हॉस्टल में खेला है जिसने पूनम लता विष्णु प्रकाश शर्मा मेरे कोच थे कोई भी प्लेयर होते हैं वह काफी अच्छी फैमिली से नहीं होते हैं और ज्यादातर हॉकी के प्लेयर गरीब फैमिली से होते हैं और वही सब है कि सिस्टर्स भी हॉकी खेलती थी हम लोगों में यही था कि एक बार वह पहनेगी शूज, एक बार वह बनेगी पहनेगी ,घर में इतना पैसा नहीं होता था कि हम सबको वह चीज मिल सकती थी।
जब भी मैं यहां पर आती थी तो हमेशा पापा ने यही बोलना था कि ओलंपिक में मेडल लेकर आना है बेटा मेरा जो ड्रीम है मैं यही चाहता हूं कि ओलंपिक में मेडल लेकर आओ, आज मैं जब इधर आ रही थी दिल्ली से इधर आ रही थी तो मुझे एक प्रेशर फील हो रहा था कि मैं घर जाऊंगी तो वह जगह जहां पर पापा बैठते थे उस चीज को मैं कैसे देख पाऊंगी जाने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का मैं बहुत धन्यवाद देना चाहूंगी जो उन्होंने मुझे अपॉर्चुनिटी दी है मैं उसको काफी अच्छे से ध्यान रखूंगी और सर ने भी काफी हेल्प की है डीएम ने और एसएसपी ने बहुत ज्यादा सपोर्ट किया है इनका भी मैं दिल से धन्यवाद देना चाहती हूं ।
वंदना कटारिया की मां सौरण देवी की आंख बेटी का स्वागत देख भर आयी और उनका कहना है कि आज बहुत अच्छा महसूस कर रही हूँ मेरी बेटी बहुत अच्छा महसूस कर रही है उसने देश का गांव का नाम रोशन किया है मुझे बहुत अच्छा लग रहा है आज, वह अपने पापा के मिट्टी पर भी नहीं आ सकी उनको देखने भी नहीं आ सकी है ,वहीं पर तड़पती रही पढ़ी हुई कि मैं घर नहीं जा सकती हूं, जिस तरह से स्वागत हुआ है मुझे बहुत अच्छा लग रहा है पूरे देश का सब का नाम रोशन किया है जितने दुश्मन जितने उम्मीद थी सब अपने मीत हो रहे इस टाइम पर, पापा तो घर पर नही थे दोनों बहन स्कूल गई थी फिर भी तो तीनों है स्कूल जाकर कहने लगी स्टेडियम में नाम लिखे जा रहे हैं और हमारा भी नाम लिखवा दो पापा तो यहां है नहीं कहीं गए हुए मेरे पास ₹100 रखे हुए थे उस समय बहुत गरीबी की थी मैंने कहा लिखवा दें यह तेरा नाम दोनों बहनों का 40 -40 रुपए में नाम लिखवाया गया था लकड़ी की स्टिक बना रखी थी उससे खेलती रहती थी अकेली घर में आकर के उसे बचपन से ही शौक था उसे शुरू से ही शौक था।
वंदना कटारिया के भाई चंद्रशेखर का कहना है आज बहुत ही अच्छे से लोग स्वागत कर रहे हैं बस कुछ कह नहीं सकते बता नहीं सकते , वंदना लगभग 9 महीने बाद लौटी है।
जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे का कहना है कि आज मेरे लिए बहुत ही गौरव का विषय है कि और अपने आप को बहुत बड़ा सौभाग्यशाली मानता हूं कि अभी 10 दिन पूर्व भी ही मुझे जनपद का जिला अधिकारी का दायित्व मिला है और मेरा सौभाग्य है कि आज हम सब की बेटी हम सब की छोटी बहन वंदना कटारिया यहां आई हुई है यह वंदना के लिए तो गौरव है ही कि उसने पूरे देश के लिए जो किया है लेकिन मैं अपने को बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं कि मैं उस जिले का जिलाधिकारी हूं जहां की बेटी वंदना है , मैं समझता हूं कि अभी निकट समय में शायद मुख्यमंत्री जी का दौरा होने वाला है तो हम उम्मीद करते हैं कि शासन का जो भी आदेश होगा हालांकि आपको यहां का ब्रांड एंबेस्डर नियुक्त किया है और मैंने भी वंदना से यह कहा है कि जिला प्रशासन कि जब भी किसी प्रकार की मदद की सहायता की किसी भी तरह की आवश्यकता हो हम लोग 24 घंटे यहां पर मौजूद है और मैं एक संदेश और देना चाहूंगा आप लोगों के माध्यम से कि हमारे देश में एक अभियान चल रहा है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लेकिन वंदना ने आज यह सिद्ध कर दिया है कि बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ और बेटी को खिलाओ उससे स्पोर्ट्स कराओ यह भी बहुत बड़ा संदेश वंदना ने दिया है ।
एसएसपी सैंथिल अबुदई कृष्णराज एस का कहना है कि देश की बेटी वंदना का स्वागत करने का आज सौभाग्य हमें मिला है यह बहुत गौरव का पल है कि रोशनाबाद की बेटी वंदना हमारे देश को गौरवान्वित करके सम्मानित करके बहुत अच्छा प्रदर्शन करके आज आई है और उम्मीद करते हैं कि इनके खेल को देखकर और बहुत सारे लड़के लड़कियां खेल में प्रतिभावान होकर देश का नाम रोशन करेंगे ।