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उत्तराखंड

उत्तराखंड की राखियां देश-विदेश तक पहुंची

 
रिपोर्टर-राहुल सिंह दरम्वाल/9761119990
उत्तराखंड –  अगर आपके अंदर जुनून हो तो इंसान किसी भी क्षेत्र में आघे बढ़ सकता है ये साबित किया है रामनगर की छोई गांव की रहने वाली मिनाक्षी खाती ने मिनाक्षी को आज पूरे देश मे कुमाऊनी ऐपण गर्ल के नाम से जाना जाता है 
मिनाक्षी ने इस राखी में  एक अलग पहल जिसमें मीनाक्षी ने बनाइ ऐपण वाली राखियां जिसमें कुमाऊनी भाषा मे  भाई,भूली,बौजु,दादी,ब्रो, अम्मा, ऐपण से लिखा हुआ है जिन राखियों को हमारे उत्तराखंड में ही  नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी पसंद कर रहे हैं विदेशों से भी मीनाक्षी के पास आ चुके हैं सैकड़ों ऑर्डर।
 
 
कुमाऊनी ऐपण गर्ल मीनाक्षी ने बताया कि बचपन से ही उनका पेंटिंग में शौक रहा है. उसी दिशा में कई कंपटीशन उन्होंने दिए और धीरे धीरे पहचान बनी और आज पूरा उत्तराखंड और पूरा देश उनको ऐपण गर्ल के नाम से जानता है. मीनाक्षी ऐपण गर्ल का खिताब भी जीत चुकी है. इस बार जैसा चाइना के विरुद्ध लोगों का आक्रोश है,उसी को देखते हुए मिनाक्षी ने भी बनाई स्वदेशी राखियां,जो है ओरों से बिल्कुल अलग,क्योंकि यह राखियों को मीनाक्षी ने ऐपण से सजाया है, जिसमें मीनाक्षी ने अपनी लोककला को भी संजोया है,मीनाक्षी ने इन राखियों में कुमाऊनी भाषा मे ददा,भूली,ब्रो, अम्मा,दादी, बौजू यह  ऐपण से लिखा हुआ है।जो इन राखियों की खूबसूरती बढ़ा देते हैं।मिनाक्षी कहती है कि इन राखियों में कुमाऊनी भाषा मे लिखने से अपनी लोक कला को भी एक अलग पहचान मिलेगी।क्योकि जो युवा वर्ग इन राखियों को खरीदेंगे तो अपनी भाषा मे लिखा हुआ देखकर कही न कही हमारी लोककला को बढ़ावा मिलेगा।
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