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उत्तराखंड

प्राकृतिक आपदा से जल विद्युत परियोजना का कार्य साल दर साल पिछड़ता जा रहा है

Newsupdatebharat /Uttarakhand/

Report/ Chamoli / Rahul Singh Darmwal/
Script by News Desk

चमोली –  तपोवन विष्णुगाड में जल विद्युत परियोजना उत्तराखंड के चमोली जिले में 2004 में शुरू हुई परियोजना  जिससे 2012 तक बन कर तैयार हो जाना था लेकिन सुरंग निर्माण के दौरान पहाड़ का कीचड़ और मलबा मशीन पर आ गिरा और वह मशीन सुरंग में ही दब गई। इसके साथ ही परियोजना का कार्य भी ठप पड़ गया। क्योंकि परियोजना की 12.3 किमी लंबी सुरंग के 8.3 किमी हिस्से में कार्य टीबीएम मशीन से होना था। इसमें सेलंग के पास से 5.5 किमी हिस्सा तैयार हो चुका है। जबकि, तपोवन से सुरंग के चार किमी हिस्से का कार्य ड्रिलिंग व ब्लॉस्ट से होना था, जिसमें से 2.5 किमी सुरंग तैयार हो चुकी थी। फिर एनटीपीसी ने मशीन का पुनर्स्थापित कर कार्य फिर से शुरू किया।

2013 से ही मुख्य सुरंग का निर्माण भूधसाव से अटक रहा है। 7 फरवरी 2021 में  ऋषिगंगा ग्लेशियर के टूटने से  बाढ़ की चपेट में आने से निर्माणाधीन तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना (520 मेगावाट) के हिस्से को नुकसान पहुंचा था, लेकिन ऋषि गंगा पनबिजली परियोजना (130 मेगावाट) पूरी तरह से तबाह हो गई है। उसके बाद इसी बरसात में परियोजना साइट तपोवन की सड़के कई मीटर बह गयी जिससे बैराज साइट का कार्य बरसात खत्म होने तक रोकना पड़ा है।
मानो प्रकृति इन सब से बहुत खफा हो वह नहीं चाहती कि कोई उस पर अपनी हुकुमत करें। बह बार बार रोक रही है कि उसके प्रवाह को ना रोके कोई। उसकी धरोहर में कोई अपना घर बनाए। जैसे लगता है वह बार बार चेता रही हो।
रविवार रात को सेलंग स्थित टीवीएम साइट के मुहाने पर भारी भूस्खलन हुआ, पहाड़ी से मलबा आ गया। गनीमत यह रही कि उस समय कंपनी का कोई भी कर्मचारी काम कर नहीं था क्योंकि कंपनी के श्रमिक हड़ताल पर है। जिससे किसी तरह की हताहत नहीं हुई। कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। अगर श्रमिक हड़ताल पर नही होते तो बहुत बड़ी जनहानि हो सकती थी। बार-बार प्राकृतिक आपदा से परियोजना का कार्य साल दर साल पिछड़ता जा रहा है।
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