उत्तराखंड
संचार क्रांति के दौर में भी लाहुर घाटी के वाशिंदे हेल्लो कहने के लिए तरसे।
Newsupdatebharat Uttarakhand
Bageshwar Report Jagdish Pandey
script by News Desk
बागेश्वर- आज देश में संचार क्रांति का बोल बाला है। एक से एक कंपनियां भारत में अपने बेहतर नेटवर्क के लिए प्रतिस्पर्द्धा रखती है। आज भारत सरकार हर चीज को डिजिटल कर रही है। ज्यादा से ज्यादा डीजिटलीकण करवा रही है। डिजिटल में ही जोर दिया जा रहा है। आजकल तो सब काम ऑनलाइन हो रहा है। पढ़ाई से लेकर घर की साॅपिंग तक ऑनलाइन हो रही है। बाजार में एक से एक स्मार्ट फोन आ रहे है।
जहां एक तरफ सरकार भारत को डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दे रही है वहीं दूसरी उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जिले के लाहुर घाटी आज भी एक हेल्लो कहने के लिए तरस रही है। यह गांव बताता है कि संचार क्रांति और डिजिटल इंडिया के सभी वादे बेकार हैं। लाहुर घाटी के 12 गांव (ग्राम पंचायत) के लोग आज संचार व्यवस्था से वंचित हैं। लाहुर घाटी के लोग मिलो दूर की पहाड़ी चढ़कर नेटवर्क की तलाश में पैदल सफर करते हैं। कि किस पहाड़ी पर उनको नेटवर्क मिल जाए। जहां आज बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है। वही बच्चे ऐसे में नेटवर्क ना होने पर अपनी पढ़ाई नहीं कर पाते है। और नेटवर्क की तलाश में वह घर से निकल कर पहाड़ियों को चढ़कर 14-15 किलोमीटर दूर आते है। और इस तरह वह अपनी पढ़ाई करते हैं। यह लाहुर घाटी बताती है की संचार क्रांति कितनी हुई है। गांव-गांव संचार से कितना जुड़ा है।
लाहुर घाटी आपदा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील घाटी है। लेकिन अभी तक लाहुर घाटी संचार व्यवस्था से वंचित है। लाहुर घाटी के जखेड़ा, जाख, दाड़िमखेत, सुराग, भगदानू, सैलानी, हरबाड़, सिमगढ़ी, डाकघट, लमचूला, नैकाना, खुमटिया आदि गांवों में संचार सुविधा नहीं है। घाटी के लोंगो को फोन करने के लिए 20 किलोमीटर दूर आना पडता है। घाटी में जब कभी आपदा से कोई घटना घट जाती है तो उसकी सूचना देने के लिए लाहुर घाटी के वाशिंदे रात को ही पैदल जाकर वहां के अधिकारी को सूचना देते हैं।
संचार व्यवस्था के लिए लाहुर घाटी के लोंगो ने जनप्रतिनिधियों को की बार इस असुविधा से अवगत कराया। ज्ञापन देकर बीएसएनएल टावर क्षेत्र में लगाने की मांग की। लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। मोदी को भी इस परेशानी से फैक्स भेजकर संचार व्यवस्था से जोड़ने की भी मांग की लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला।
लाहुर घाटी के लोग क्षेत्र को संचार सुविधा से जोड़ने के लिए पूरी घाटी के 12 के 12 गांव के लोग पिछले 7 दिन धरने पर बैठे हैं। गांव वासियों का कहना है कि आज तक हमारे गावों में फोन नेटवर्क नहीं है। हमारे बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कई किलोमीटर पैदल सफर कर नेटवर्क की तलाश में पहाड़ियों पर जा रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनके क्षेत्र को दूरसंचार से नहीं जोड़ा जाता है तब तक उनका धरना जारी रहेगा।