उत्तराखंड
दिन में तीन बार रूप बदलती है उत्तराखंड के इस मंदिर की मूर्ति उत्तराखंड में यहां स्थित है यह चमत्कारी मंदिर
उत्तराखंड – वैसे तो भारत में अनेकों तीर्थ स्थल है लेकिन उत्तराखंड राज्य की देवभूमि के रूप में एक अलग ही पहचान है, यहां चारधाम बाबा केदारनाथ, बद्रीनाथ धाम, गंगोत्री, यमनोत्री और हेमकुंड साहब जैसे तीर्थ स्थल है, लेकिन आज हम आपको उत्तराखंड के ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां देवी की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है।
स्थानीय लोगों की मानें तो देवी की यह मूर्ति सुबह के समय एक कन्या की तरह दिखती है, दोपहर के समय यह मूर्ति युवती रूप में आ जाती है और शाम होते होते यह देवी की मूर्ति एक बूढ़ी महिला का रूप ले लेती है।
जी हां दोस्तों हम बात कर रहे हैं धारी देवी मंदिर की जो उत्तराखंड राज्य के श्रीनगर गढ़वाल से 14 किलोमीटर दूर कलियासौड़ के नजदीक अलकनंदा नदी के बीचों बीच स्थित है।
माना जाता है कि धारी देवी की मूर्ति का यह ऊपरी आधा भाग अलकनंदा नदी में बहकर यहां आया था तब से देवी की मूर्ति यहीं पर स्थित है। और तब से इस स्थान पर मूर्ति की पूजा देवी “धारी” के रूप में की जाती है। वहीं मूर्ति का निचला आधा हिस्सा कालीमठ में स्थित है, जहां इसे माता काली के रूप में पूजा जाता है।
एक पौराणिक कथा की मानें तो जल प्रलय से आई भीषण बाढ़ में मंदिर और मूर्ति दोनों बह गई थी। जो चट्टान से टकराकर यहां रुक गई।
लोगों का मानना है कि उस मूर्ति में से दिव्य आवाज निकली जिसने धारो गांव के लोगों को इस स्थान पर मूर्ति को स्थापित करने के लिए निर्देशित किया।
मान्यता है कि धारी देवी के दरबार में सच्चे दिल से मांगी हर इच्छा पूरी हुई है, नवरात्रों के अवसर पर देवी कालीसौर को विशेष पूजा की जाती है, देवी काली के आशीर्वाद पाने के लिए दूर-दूर से लोग इस पवित्र मंदिर का दर्शन करने आते हैं।
पौराणिक मान्यता और स्थानीय लोगों की मानें तो धारी देवी उत्तराखंड के चारों धाम की रक्षा करती है इसलिए इसे उत्तराखंड की रक्षक नाम से भी जाना जाता है।
रिपोर्ट- कृष्णा बिष्ट