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मरीज को उपचार हेतु लकड़ी में बांधकर पथरीले रास्तों के माध्यम से ग्रामीणों ने अस्पताल पहुंचाया।

देहरादून – स्वस्थ भारत की जीती जागती तस्वीर जो सरकार के दावों की पोल ही नहीं खोलती बल्कि यह भी बताती है कि पहाड़ में आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है। उत्तराखंड अपने 22 वें वर्ष में प्रवेश कर गया है, लेकिन इन 22 सालों में जो चीज नहीं बदली है वह है पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं, मूलभूत सुविधाओं का अभाव।
प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं की लाख बातें तो करती है पर स्वास्थ्य सुविधाओं को आईना दिखाने वाली एक तस्वीर फिर से उत्तराखंड के जौनसार-बावर से सामने आई है, जहां मरीज को लकड़ी पर बांधकर 8 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा कर ग्रामीणों द्वारा उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया गया।
जौनसार के उदावा गांव से मरीज को चकराता अस्पताल लाया गया, स्वास्थ्य सुविधाओं को आईना दिखाती तस्वीरें उत्तराखंड के साथ साथ केंद्र सरकार की आंखे खोलने का काम कर रही हैं, विपरीत परिस्थितियों जीवन यापन करने वाले उत्तराखंड के पर्वतीय ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं, क्योंकि राज्य बने 22 साल के बाद भी कई गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई है। डंडी-कंडी के माध्यम आज भी ग्रामीण पथरीली पगडंडियों के सहारे मरीज को अस्पताल तक उपचार के लिए ले जाते है, जबकि यह क्षेत्र राजधानी देहरादून से कुछ ही घंटो की दूरी पर है। इस तरह की तस्वीर तक सरकार की आंखे नहीं खोल पाती है। सरकार को स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर प्राथमिक उपचार के लिए प्रत्येक ग्रामसभा स्तर पर कार्य करना होगा।
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