द्वितीय सत्र में ‘‘नवाचार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी’’ विषव पर यूटीयूू के कुलपति डॉ. ओंकार सिंह, आईआईटी रुड़की के डीन प्रो. अक्षय द्विवेदी, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. संजय जसोला, एनआईटी श्रीनगर के डीन डॉ. हरिहरन मुत्थू स्वामी ने प्रतिभाग किया। प्रतिभागियों ने परिचर्चा के दौरान डिजिटल इंडिया, कौशल विकास, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, विश्वविद्यालयों के मध्य टेक्नोलॉजी एवं स्टूडेंट ट्रांसफर आदि पर प्रकाश डाला। सत्र का संचालन डॉ. राम शर्मा ने किया।
तृतीय सत्र में ‘‘दुनिया में भारत’’ विषय पर दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.के. त्रिपाठी, एच.एन.बी. गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. रमेश चन्द्र भट्ट एवं उत्तरांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. धर्मबुद्धि ने प्रतिभाग किया। प्रतिभागियों ने परिचर्चा के दौरान मातृ शक्ति एवं युवा शक्ति का समन्वय, भारत की अविरल संस्कृति, वैश्विक स्तर पर भारत की स्वीकार्यता एवं भारत के जीवंत लोकतंत्र पर प्रकाश डाला। सत्र का संचालन आईआईएम काशीपुर के प्रो. अभ्रदीप मैती ने किया।
चतुर्थ सत्र में ‘‘विकसित भारत@2047 में युवाओं की भूमिका एवं योगदान’’ विषय पर पैट्रोलियम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. सुनील राय, स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.विजय धस्माना एवं डीआईटी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जी. रघुराम ने प्रतिभाग किया। प्रतिभागियों ने परिचर्चा के दौरान युवा छात्रों को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करने के तरीके, देश की 65 प्रतिशत आबादी की औसत आयु युवा वर्ग के होने के लाभ एवं सभी विश्वविद्यालयों को एकजुट माध्यम से विकसित उत्तराखण्ड एवं विकसित राष्ट्र बनाने के कार्यक्रमों की योजना बनाने पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, विधि परामर्शी राज्यपाल अमित कुमार सिरोही, अपर सचिव राज्यपाल स्वाति एस. भदौरिया, वित्त नियंत्रक डॉ. तृप्ति श्रीवास्तव, एचएनबी राजकीय चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेमचंद्र, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.के. जोशी, संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश शास्त्री, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ.पी.एस. नेगी, बीर चन्द्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्योगिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल सहित राजकीय और निजी विश्वविद्यालयों के शिक्षकगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।