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उत्तराखंड

जल्द ही भगवान केदार के दरबार तुंगनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर बना सकती है सरकार 

रिपोर्ट – राहुल सिंह दरम्वाल

उत्तराखंड वैसे तो देव भूमि के नाम से विश्वविख्यात मानी करता क्योंकि यह देवस्थली उत्तराखंड अपने आप में निराली है और जगह जगह भगवानों के बाद होने के कारण इससे देव भूमि कहा जाता है देवभूमि अपने आप में बाबा केदार नाथ के नाम से भी जानी जाती है अब जल्द ही सरकार बाबा केदार के रूप तुंगनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर बनाने की तैयारी में जुटी हुई है हो सकता है जल्द ही तुम नाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर बना दिया जाए फिलहाल इसकी तैयारियां जोर-शोर पर चल चल रही है

तृतीय केदारनाथ भंगवान तुंगनाथ धाम में सालभर तक श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। छः माह कपाट खुले रहने पर श्रद्धालु यहां आते ही हैं, साथ ही शीतकाल के दौरान बर्फ गिरने पर भी पर्यटक एवं तीर्थयात्री तुंगनाथ धाम पहुंचते हैं। मिनी स्विटजरलैंड चोपता से तुंगनाथ की दूरी साढ़े तीन किमी है और ज्यादातर पर्यटक एवं श्रद्धालु मंदिर तक पैदल ही पहुंचते हैं। यहां से एक किमी की खड़ी चढ़ाई चढ़ने पर चन्द्रशिला मंदिर है, जहां से नीचे देखने पर तुंगनाथ मंदिर भव्य नजर आता है।

तुंगनाथ मंदिर की महिमा किसी से छिपी नहीं है पुराणों में वर्णित है कि महाभारत युद्ध के बाद पाण्डवों ने गोत्र हत्या के पाप से बचने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए हिमालय की ओर आगमन किया पाण्डवों ने भगवान तुंगनाथ का मंदिर स्थापित कर शिव की आराधना की मान्यता यह भी है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तुंगनाथ में तप किया था स्कंदपुराण में भी देवभूमि के पंचकेदारों का वर्णन लिखा गया है स्कंद पुराण में बताया गया है कि प्रथम केदार भगवान केदारनाथ हैं उनकी 11वें ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा होती है द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर, तृतीय केदार तुंगनाथ, चतुर्थ भगवान रुद्रनाथ और पंचम केदार भगवान कल्पेश्वर नाथ है।

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