रिर्पोट – राहुल सिंह दरम्वाल
उत्तराखण्ड – उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर मैदानी क्षेत्रों में इस समय कई स्थानों पर आग लगी हुई है बागेश्वर चमोली टिहरी के साथ ही नैनीताल जिलों में कई पहाड़ियों पर आग ने कब्जा किया हुआ है हालांकि अभी कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत में उत्तराखंड के जंगलों को बचाने के लिए एक अहम बैठक की गई थी जिसमें महिलाओं और युवाओं को जोड़कर जंगलों को बचाने के लिए एक आदेश जारी किया गया था हालांकि वन विभाग इस फायर सीजन में करोड़ों के बजट और कई नियम कानून बनाता है लेकिन असर और जंगल नहीं बच पाते ।

फायर सीजन शुरू होते ही उत्तराखंड के अधिकतर जंगल जहां धड़कने लगते हैं तो वहीं उत्तराखंड की 50 से 70% वनस्पति वन्य जीव और पेड़ पौधे जलकर राख हो जाते हैं ऐसे में जहां ,वन महकमे की लापरवाही देखी जाती है तो वहीं स्थानीय लोगों के जंगल में लगाई जाने वाली आग के भी कई मामले सामने आते हैं जहां जंगलों में आग की कुछ घटनाएं तो गर्मी बढ़ने के कारण से होती है तो वहीं अधिकतर घटनाएं मानव के द्वारा लगाई जाती है चाहे वह शरारती तत्व के माध्यम से जंगलों को आग के हवाले किया जाता हो या फिर अपने फायदे के लिए वनस्पति और घास प्राप्त करने के लिए बड़े-बड़े ग्रास लैंड और पहाड़ों को आग के हवाले कर दिया जाता है ऐसे में अभी कुछ दिन पहले ही वनों को बचाने के लिए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बैठक में ली और कई अहम फैसले मैं जहां 10,000 स्थानीय लोगों को जंगलों को बचाने के लिए जिम्मेदारी दी जाएगी तो वही 10000 में से 5000 महिलाओ की भी नियुक्ति की जाएगी ऐसे में जहां प्रदेश भर में मुख्यमंत्री के इस फैसले से लोगों में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है क्योंकि अधिकतर महिलाओं की भागीदारी जंगलों में पहाड़ों के और मैदानी क्षेत्रों में अधिकतर महिलाएं जंगलों से जुड़ी रहती है लकड़ी , घास यानी जानवरों से जुड़ी हुई कार्यों के लिए महिलाओं को अक्सर जंगलों का रुख करना पड़ता है ।
ऐसे में जहां 5000 महिलाओं को जंगल बचाने की जिम्मेदारी सरकार के द्वारा दी जा रही है तो हो सकता है जंगलों को बचाने के लिए यह सरकार का काफी अच्छा फैसला माना जा रहा है जिससे इन 5000 महिलाओं को रोजगार के तहत बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी तो वहीं उत्तराखंड के हरे जंगलों को भी बचाया जा सकेगा ।