उत्तराखंड
उत्तराखंड में प्रतियोगी परीक्षा देने वाले युवाओं के लिए आवश्यक जानकारी, पढ़ ले परीक्षाओं के सभी नए नियम।
देहरादून: युवाओं के भारी विरोध प्रदर्शन के बाद उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश, 2023 की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस अध्यादेश में कई सारे कड़े प्राविधान किए गए हैं। सजा का भी प्राविधान अलग से किया गया है।
अध्यादेश के मुताबिक निम्न प्राविधान किए गए हैं:-
परीक्षार्थी की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से मदद करने अथवा ऑनलाइन परीक्षा के प्रश्नपत्र हल करने, सहायता करने, ओएमआर शीट से छेड़छाड़ करना अब दंड के दायरे में
परीक्षा के संचालन कार्य में लगे कार्मिकों या किसी रिश्तेदार को चोट पहुंचाने की धमकी देना भी अपराध
प्रश्नपत्र के प्रतिरूप प्रकट करने, इसका प्रयास करने अथवा षडयंत्र करने, प्रश्नपत्र को प्राप्त करने, प्रश्नपत्र हल करने, इसका प्रयास करने पर सजा होगी।
प्रश्नपत्र की चोरी, वसूली या नियम विरुद्ध उत्तर पुस्तिका और ओएमआर शीट को हटाना या नष्ट करना भी अपराध
प्रश्नपत्र को प्राप्त करना, इसका प्रयास करना और हल करना कर्मचारी का कार्य नहीं है।
उत्तर पुस्तिका में अपशब्द, अश्लील एवं अभद्र भाषा का प्रयोग भी दंड के दायरे में लिया गया है।
जिला मजिस्ट्रेट को तलाशी और अभिग्रहण और पुलिस को इस मामले में गिरफ्तार करने की शक्ति दी गई है।
प्रश्नपत्र से संबंधित गोपनीय सूचना लीक नहीं की जाएगी। कोई भी डाटा प्रकट नहीं किया जाएगा। ऐसा करना दंड की श्रेणी में रहेगा
ये मिलेगी सजा:-
परीक्षा कराने से लेकर परिवहन तक में शामिल परीक्षा से संबंधित व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर दस वर्ष से लेकर आजीवन कारावास और न्यूनतम एक करोड़ से लेकर 10 करोड़ तक का जुर्माना व तीन साल की सजा।
संगठित अपराध की श्रेणी में पकड़े जाने पर दस वर्ष से लेकर आजीवन कारावास व एक करोड़ से लेकर 10 करोड़ तक का जुर्माना।
नकल करते या करवाते पकड़े गए तो न्यूनतम पांच लाख जुर्माना और नौ माह कारावास। दोबारा पकड़े जाने पर दस लाख का जुर्माना और तीस माह का कारावास।
किसी भी प्रकार से उत्तर पुस्तिकाओं व ओएमआर शीट में छेड़छाड़ पर न्यूनतम सात से 10 वर्ष का कारावास और न्यूनतम 50 लाख से लेकर एक करोड़ तक का जुर्माना।
अध्यादेश में दोष साबित होने पर दोषी व्यक्ति अथवा संस्थान की संपत्ति कुर्क करने की व्यवस्था भी इस अध्यादेश में की गई है।
दूसरे बार पकड़े जाने पर आरोप पत्र दाखिल होने पर पांच से 10 वर्ष का कारावास व दोष सिद्ध होने पर प्रतियोगी से आजीवन परीक्षाओं से प्रतिबंधित होंगे।
अपराध करने पर परीक्षार्थी को आरोप पत्र दाखिल होने पर दो से पांच साल का कारावास व दोष सिद्ध होने पर दस वर्ष का कारावास व सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किया जाएगा।
आपको बता दें कि अध्यादेश में परीक्षा केंद्र में प्रवेश के मानकों को भी पहले से काफी सख्त किया गया है। अब ऐसा व्यक्ति जो परीक्षा में तैनात नहीं है अथवा उसे परीक्षा के संचालन में नहीं रखा गया है, उसे परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। ना ही केंद्र में किसी प्रकार का इलेक्ट्रानिक उपकरण जैसे मोबाइल फोन, ब्लूटूथ, घड़ी, केलकुलेटर, घड़ी, चिप अथवा कंप्यूटर को प्रभावित करने वाला उपकरण ले जाना नियम के दायरे में होगा।